उधार लेकर न लौटाने के बहाने

 


भाग 1 – उधार और बहानों की दुनिया (कहानी + भावनात्मक पहलू)


भूमिका – कहानी की शुरुआत


गाँव के चौपाल में बैठे रामलाल ने अपने पुराने दोस्त मोहन से कहा –

“भाई मोहन, तू थोड़ा हज़ार रुपये उधार दे दे। बस अगले हफ्ते पक्का लौटा दूँगा। बच्चा बीमार है, दवा लानी है।”


मोहन दिल का अच्छा था। उसने अपनी जेब टटोली, और जो कुछ भी था, रामलाल को दे दिया।

दिन बीते, हफ्ता बीता, महीना बीता। जब मोहन ने पैसे माँगे तो रामलाल बोला –

“अरे भाई, अभी तो फसल कटने वाली है, उसी के बाद लौटा दूँगा।”


कुछ दिन बाद फिर वही बहाना –

“घर में शादी है, बहुत खर्चा हो गया, अगली बार पक्का लौटा दूँगा।”


और धीरे-धीरे साल बीत गया, लेकिन पैसे वापस नहीं आए।

ये कहानी सिर्फ गाँव की चौपाल की नहीं है। ये तो हर शहर, हर मोहल्ले, हर ऑफिस, हर रिश्तेदारी की हकीकत है।


लोग उधार तो बड़ी आसानी से ले लेते हैं – कभी आँखों में आँसू भरकर, कभी भगवान का नाम लेकर, कभी रिश्तेदारी का वास्ता देकर। लेकिन जब लौटाने का समय आता है, तो बहानों की पूरी दुनिया खुल जाती है।



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अध्याय 1 – लोग उधार क्यों लेते हैं?


उधार लेने के कारणों की लिस्ट लंबी है।


1. सच्ची मजबूरी – बीमार पड़ना, शादी-ब्याह, पढ़ाई, अचानक दुर्घटना।



2. शौक और दिखावा – नया मोबाइल, महंगी बाइक, पार्टी देना, शादी में धूमधाम।



3. व्यवसाय और काम-धंधा – दुकान चलाने के लिए, स्टॉक खरीदने के लिए, नया काम शुरू करने के लिए।



4. आदत और आलस्य – कुछ लोगों को बिना उधार लिए चैन नहीं आता। उनकी आदत बन जाती है “कहीं से भी लाओ, बाद में देखेंगे।”




लेकिन असली मज़ा तो तब आता है जब उधार लेने वाले अपने बहानों की कला दिखाते हैं।



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अध्याय 2 – भावनात्मक बहाने (दिल पिघलाने वाले किस्से)


ये बहाने इतने गहरे होते हैं कि सुनकर लगता है – अगर अभी मदद न की तो हम इंसान ही क्या!


1. “बच्चा बीमार है”


सबसे आम बहाना। कोई कहे – “बच्चे को बुखार है, अस्पताल ले जाना है, दवा नहीं खरीद पा रहा।”

ऐसे समय पर कौन मना कर सकता है? दिल खुद-ब-खुद पिघल जाता है।


2. “माँ-बाप को दवा लानी है”


“भाई, माँ बहुत बीमार है। डॉक्टर ने तुरंत दवा लिखी है। जेब में पैसे नहीं हैं, मदद कर दे।”

ये सुनते ही सामने वाला सोचता है – इंसानियत सबसे बड़ी चीज़ है, और पैसे निकाल देता है।


3. “घर में शादी है”


“शादी में इज्ज़त का सवाल है। अगर अभी मदद कर देगा तो ज़िंदगी भर तेरी याद रखूँगा।”

और ये इज्ज़त वाला बहाना तो सबसे ज़्यादा असर करता है।


4. “बच्चों की पढ़ाई”


“बेटा कॉलेज में एडमिशन ले रहा है, फीस नहीं भर पा रहा। अगर तू न होगा तो मेरा बच्चा पीछे रह जाएगा।”

ये बहाना हर पढ़े-लिखे आदमी के दिल को छू जाता है।


5. “मरने-जीने का सवाल”


“भाई, अस्पताल में भर्ती कराना है। डॉक्टर पैसे जमा करने के बिना इलाज शुरू नहीं करेंगे। बस तू ही मेरा सहारा है।”

ऐसे शब्द सुनकर कौन मना कर सकता है?



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असली किस्से


👉 एक बार मेरे पड़ोस में सुरेश नाम का आदमी था। उसने हर किसी से यही कहा – “मेरी माँ ICU में है, दवा लेनी है।”

लोगों ने मिलकर उसे 50–60 हज़ार तक दे दिए।

कुछ महीने बाद पता चला – माँ तो बिल्कुल ठीक-ठाक थीं, और वो पैसे से शहर में शराब और जुआ खेल रहा था।


👉 दूसरी कहानी – रमेश ने मोहल्ले में 20–30 लोगों से “बच्चों की फीस” के नाम पर उधार लिया। बाद में सबको समझ आया कि वो फीस नहीं भर रहा था, बल्कि नया iPhone लेने के लिए पैसे जोड़ रहा था।



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भावनात्मक बहानों की सूची


1. माँ की तबीयत खराब है।



2. बच्चे को दवा लेनी है।



3. पापा की सर्जरी है।



4. घर में शादी है।



5. रिश्तेदार का एक्सीडेंट हो गया।



6. अस्पताल में भर्ती कराना है।



7. स्कूल की फीस नहीं है।



8. नौकरी का फॉर्म भरना है।



9. घर का राशन खत्म हो गया।



10. घर का बिजली का बिल कटने वाला है।




ये सारे बहाने सुनने में इतने असली लगते हैं कि सामने वाला हाँ कहे बिना रह ही नहीं सकता।


भाग 2 – रिश्तेदारी, दोस्ती और व्यवसाय वाले बहाने


पहले भाग में आपने देखा कि कैसे लोग भावनात्मक बहाने लगाकर उधार लेते हैं। अब हम गहराई से समझेंगे कि उधार लेने की असली कला कहाँ छिपी है –


दोस्ती में


रिश्तेदारी में


नौकरी या व्यापार में


और फिर जब लौटाने की बारी आती है, तो बहानों का मेले जैसा दृश्य सामने आता है।




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अध्याय 3 – दोस्ती और रिश्तेदारी वाले बहाने


1. “दोस्त तो काम ही कब आते हैं”


यह सबसे क्लासिक लाइन है। कोई दोस्त कहेगा –

“यार, अगर तू दोस्त होकर भी मदद नहीं करेगा, तो फिर दोस्ती का क्या मतलब?”

अब सामने वाले को लगेगा – अगर मैंने मना किया तो लोग कहेंगे कि ये कैसा दोस्त है।


2. “रिश्तेदार का वास्ता”


रिश्तेदार तो अक्सर उधार इसी आधार पर लेते हैं –

“हमारे तो खून का नाता है। क्या तू मुझे मना करेगा? थोड़े दिन की बात है, फिर चुका दूँगा।”


3. “भगवान का नाम लेकर”


“भाई, भगवान कसम, बस दो दिन में लौटा दूँगा।”

या – “तू भगवान में विश्वास करता है न? मेरी कसम मान, धोखा नहीं दूँगा।”


4. “इज्ज़त बचाने का सवाल”


“भाई, अगर तूने मदद नहीं की तो मेरी बहुत बेइज़्ज़ती हो जाएगी। तू ही मेरा सहारा है।”


5. “पुराने एहसान का हिसाब”


“याद है, तूने पहले मेरी मदद की थी? अब भी थोड़ी कर दे। देख, तुझे कभी भी परेशानी में अकेला नहीं छोड़ूँगा।”



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अध्याय 4 – व्यवसाय और नौकरी वाले बहाने


1. “बिज़नेस में इन्वेस्ट करना है”


“भाई, नया माल उठाना है। अभी पैसे नहीं हैं। अगर तू मदद कर देगा तो डबल करके लौटाऊँगा।”


2. “सैलरी आने वाली है”


“अभी पैसे नहीं हैं, लेकिन सैलरी 1 तारीख को आ रही है। उसी दिन लौटा दूँगा।”

(असलियत: अगली 1 तारीख को भी बहाना तैयार रहता है।)


3. “पेमेंट अटक गया है”


“क्लाइंट ने पैसे नहीं दिए, वरना अभी चुका देता। बस एक हफ्ते की बात है।”


4. “नया कांट्रैक्ट मिला है”


“अगर अभी मदद करेगा तो बड़ा काम हाथ से नहीं जाएगा। बाद में तुझे भी फायदा होगा।”


5. “ऑफिस में इमरजेंसी है”


“अचानक ऑफिस से नोटिस आया है, कुछ पैसे जमा करने हैं। वरना नौकरी पर असर पड़ेगा।”



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अध्याय 5 – जब लौटाने का समय आता है (200 बहाने)



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A. पारिवारिक बहाने (Family excuses)


1. माँ बीमार है।



2. बच्चे की फीस निकल गई।



3. घर में शादी थी।



4. बहन को दहेज देना पड़ा।



5. पापा की दवा पर खर्च हो गया।



6. भाई का एक्सीडेंट हो गया।



7. बेटी की डिलीवरी हुई।



8. घर का किराया निकल गया।



9. बिजली का बिल बहुत आ गया।



10. राशन खत्म हो गया था।





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B. नौकरी/बिज़नेस वाले बहाने


11. कंपनी ने सैलरी रोक दी।



12. क्लाइंट ने पेमेंट नहीं दिया।



13. दुकान का किराया निकल गया।



14. माल खराब हो गया।



15. स्टॉक में नुकसान हो गया।



16. टैक्स का भुगतान करना पड़ा।



17. ट्रांसपोर्ट में खर्च हो गया।



18. बैंक का लोन देना पड़ा।



19. मशीन खराब हो गई।



20. बिज़नेस में घाटा हो गया।





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C. सामाजिक/रिश्तेदारी वाले बहाने


21. किसी की शादी में गिफ्ट देना पड़ा।



22. रिश्तेदार आए थे, खर्च हो गया।



23. तेरहवीं/श्राद्ध में खर्चा हो गया।



24. पड़ोसी को मदद करनी पड़ी।



25. किसी को अस्पताल ले जाना पड़ा।





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D. सीधे-सीधे टालने वाले बहाने


26. अगले हफ्ते पक्का।



27. इस बार सैलरी आने दे।



28. बैंक से पैसे नहीं निकले।



29. अभी ATM में लाइन लंबी थी।



30. तेरे पैसे अलग रखे हैं, बस लाना भूल गया।



31. तुझे देने ही वाला था, तू पहले आ गया।



32. मोबाइल पर UPI नहीं चल रहा।



33. बैंक सर्वर डाउन था।



34. चेकबुक खो गया।



35. नकद नहीं है, कल मिल जा।





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E. भावनात्मक ब्लैकमेल


36. तू मुझे शक करता है?



37. मैंने कब तुझे धोखा दिया है?



38. तू मुझे इतना छोटा समझता है?



39. मेरी इज्ज़त मत गिरा।



40. तू चाहे तो मेरा घर देख ले।





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F. बड़े झूठ वाले बहाने


41. मुझ पर Income Tax का छापा पड़ा।



42. पुलिस ने पैसे ले लिए।



43. चोरी हो गई।



44. जेब कट गई।



45. मोबाइल चोरी हो गया, उसमें पैसे थे।



46. गाँव में बाढ़ आ गई।



47. फसल बर्बाद हो गई।



48. डाका पड़ गया।



49. प्रॉपर्टी सील हो गई।



50. किसी ने धोखा दे दिया।





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असली किस्से


👉 हमारे मोहल्ले में श्याम नाम का आदमी था। उसने 10 लोगों से 5–5 हज़ार लिए। जब किसी ने माँगा, तो बोला –

“अरे भाई, अभी बेटी की शादी में फँस गया हूँ।”

दूसरे को बोला – “माँ की दवा

 में खर्च हो गया।”

तीसरे को बोला – “क्लाइंट ने पेमेंट रोका है।”

यानी हर किसी को अलग-अलग बहाना!


👉 एक और किस्सा – राजू ने ऑफिस में सबको कहा – “इस बार पक्का लौटा दूँगा, बोनस आने वाला है।”

बोनस आया, लेकिन उसके बहाने का बोनस भी बढ़ गया –

“बोनस तो आ गया, लेकिन EMI में चला गया।”


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